The Ultimate Guide To baglamukhi sadhna

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बगलामुखी मंत्र लाभ मां बगलामुखी मारण मंत्र यह बात हो गयी दीक्षा की अब इस साधना के क्या लाभ है ।या इस साधना को क्यों किया जाता है । जायदातर इस साधना को सम्बंधित यह धारणा है यह साधना सिर्फ़ और सिर्फ़ शत्रु नाश के लिए की जाती है ।यह एक बहुत बड़ा झूठ है यह महाविद्या सिर्फ़ शत्रु नाश के लेया नहीं है । यह साधना विजय प्राप्ति के लिए है ज़िंदगी के हर मोड़ सफल होने की साधना है । उदहारण के तोर पर समझता हु । जैसे आप किसी प्रतियोगता में भाग लिया है तो आप से भी बड़े विद्वान् उस प्रतियोगता में शामिल है और आपके मुकाबले में खड़े है । तो आप उन सब को हरा कर उस परियोगता को जीत सकते है ।

शरीर में जिन्न होने के लक्षण और जिन्न शरीर में क्यों…

दीप-आरती तीन बार धीमी गति से उतारें। दीप-आरती उतारते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं। दीप जलाने के संदर्भ में ध्यान में रखने योग्य सूत्र:

आचार्य अतुल्य नाथ धूमावती तांत्रिक महायज्ञ्

देवी को कपास के दो वस्त्र अर्पित करें। एक वस्त्र देवी के गले में अलंकार के समान पहनाएं तथा दूसरा देवी के चरणों में रखें।

विष्टम्भो दिवो धरुणः पृथिव्या अस्येशाना सहसो विष्णु-पत्नी।

maa durga Trikal gyan sadhna माँ दुर्गा त्रिकाल ज्ञान सध्ना



नहीं रखने चाहिए बच्चों के ये नाम, वर्ना पछताएंगे

अग्निर्वै देवानां मनोता तस्मिन् हि तेषां मनांसि ओतानि !

विश्व-व्यचा इषयन्ती सुभूता शिवा नो अस्तु अदितिरुपस्थे।।

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मां बगलामुखी की साधना में रखें ये सावधानियां, पढ़ें दिव्य मंत्र और विधि * मां बगलामुखी मंत्र जाप, विधि more info एवं सावधानियां जानिए... 

साधना को आरम्भ करने से पूर्व एक साधक को चाहिए कि वह मां भगवती की उपासना अथवा अन्य किसी भी देवी या देवता की उपासना निष्काम भाव से करे। उपासना का तात्पर्य सेवा से होता है। उपासना के तीन भेद कहे गये हैं:- कायिक अर्थात् शरीर से , वाचिक अर्थात् वाणी से और मानसिक- अर्थात् मन से। जब हम कायिक का अनुशरण करते हैं तो उसमें पाद्य, अर्घ्य, स्नान, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पंचोपचार पूजन अपने देवी देवता का किया जाता है। जब हम वाचिक का प्रयोग करते हैं तो अपने देवी देवता से सम्बन्धित स्तोत्र पाठ आदि किया जाता है अर्थात् अपने मुंह से उसकी कीर्ति का बखान करते हैं। और जब मानसिक क्रिया का अनुसरण करते हैं तो सम्बन्धित देवता का ध्यान और जप आदि किया जाता है।

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